वजीर: अद्भुत खेल, तेज रफ्तार

वजीर: अद्भुत खेल, तेज रफ्तार

स्टार कास्ट :

फरहान अख्तर, अमिताभ बच्चन ,अदिति राव हैदरी, मानव कौल, नील नितिन मुकेश ,अंजुम शर्मा और जॉन अब्राहम

टेक्निकल टीम:

डायरेक्टर: बिजॉय नाम्बियार

कहानी:

एटीएस ऑफिसर दानिश अली (फरहान अख्तर) पत्नी रुहाना (अदिति राव हैदरी) और बेटी के साथ खुशी से जिंदगी बिता रहे होते हैं।लेकिन एक हादसा उनकी जिंदगी को हिला कर रख देता है।दानिश खुद को इस हादसे का जिम्मेदार मानता है। उसे एटीएस की नौकरी से भी सस्पेंड कर दिया जाता है।ऐसे समय में उसकी मुलाकात पंडित ओंकारनाथ धर (अमिताभ बच्चन) से होती है। पंडित जी चल नहीं सकते और व्हील चेयर पर हैं।अपना सारा समय वो शतरंज खेलते हुए बिताते हैं। वो भी एक हादसे की याद से जूझ रहे हैं।उन्हें लगता है कि मंत्री यजाद कुरैशी (मानव कौल) ने उनकी बेटी को मार दिया, जिसका वो बदला लेना चाहते हैं।पंडित जी और दानिश करीबी दोस्त बन जाते हैं।दानिश उनसे वादा करता है कि पंडित जी को इंसाफ दिलाएगा।मगर इस कहानी में एक वजीर भी है, राजा भी और प्यादे भी।जो दिखता है, वो है नहीं।आखिर में फिल्म में काफी ट्विस्ट आ जाते हैं जिसे देखने के लिए आपको सिनेमाघर जाना पड़ेगा।

क्यों देखें :

फिल्म का केन्द्र अमिताभ बच्चन ही हैं. उन्होंने एक मजबूर पिता और शतरंज के माहिर का किरदार बखूबी निभाया है।फरहान अख्तर ने बहुत अच्छा अभिनय किया है।नील नितिन मुकेश और अदिति राव हैदरी ने अपने रोल ठीकठाक निभाए हैं।स्क्रिप्ट के साथ साथ इस फिल्म की रफ्तार काबिल ए तारीफ है , एडिटिंग टेबल पर इस फिल्म को मात्र 103 मिनट का बनाया जाना भी सराहनीय है।स्क्रिप्ट लेवल पर फिल्म का हरेक किरदार बखूब सजाया गया है।

 

क्यों नहीं देखें:

इंटरवल के बाद फिल्म अचानक गिर जाती है, इसमें घिसे-पिटे फिल्मी ट्विस्ट आ जाते हैं और आखिर तक आते-आते फिल्म एक मामूली बदले की कहानी बन कर रह जाती है।ट्विस्ट का अंदाजा पहले से ही हो जाता है, सस्पेंस बांध नहीं पाता और अंत निराश करता है।

 

विश्लेषण:

अगर आप वीकेंड पर कोई प्लान नहीं बना रहे हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं।साथ हीं आप सस्पेंस और ड्रामा पर आधारित फिल्में पसंद करते हैं तो ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।

रेटिंग:

3

फिल्म का विश्लेषण हमारी साइट niharonline.com का है इसे गंभीरता से नहीं लें।

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