सेंसर बोर्ड ने इन फिल्मों को किया था बैन

June 11, 2016 | 04:31 PM | 1 Views
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अनुराग कश्यप निर्देशित पंजाब की सामाजिक गतिविधियों और बढ़ते नशे की समस्या के मुद्दे पर बनी फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ पर सेंसर ने कई कैंचियां चलाई है। अब तक ऐसी न जाने कितनी सामाजिक, धार्मिक और आपराधिक फिल्में बनाई गई, जिनको कुछ लोगों ने सराहा भी लेकिन सेंसर बोर्ड ने उन तमाम फिल्मों को असामाजिक करार देते हुए बैन कर दिया।

सेंसर बोर्ड का ऐसा करना सामाजिक संतुलन बनाए रखने से होता है क्योंकि ऐसा देखा जाता है कि जब किसी फिल्म को लेकर एक पक्ष खुश होता है, तो दूसरा पक्ष उस फिल्म के खिलाफ होता है। इसी को लेकर सेंसर बोर्ड इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसे ही कुछ निर्णय लेता है जो राष्ट्रहित में होते हैं, जो समाज के लिए बेहतर होते हैं।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब सेंसर बोर्ड ने किसी फिल्म के कुछ शब्दों पर कैंची चलाई है। इससे पहले भी ढ़ेर सारी फिल्में सेंसर बोर्ड के हत्थे चढ़कर विलुप्त हो गई है।

‘बैंडिट क्वीन‘ जिसको शेखर कपूर ने निर्देशित किया था। यह फिल्म मशहूर डकैत फूलन देवी के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म को सेंसर ने वल्गर और इनडिसेंट कंटेंट के चलते बैन कर दिया था।
दीपा मेहता के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘फायर‘ में हिंदू फैमिली की दो सिस्टर-इन-लॉ को समलैंगिक बताया गया था, जिसको शिवसेना सहित कई हिंदू संगठनों ने काफी विरोध किया था। सामाजिक गतिविधियों के चलते इस फिल्म को सेंसर ने बैन कर दिया।

फिल्म ‘कामसूत्र‘ को भी सेंसर ने बैन कर दिया क्योंकि इस फिल्म में काफी हद तक खुलापन और नग्नता दिखाई गई थी।मशहूर लेखक एस हुसैन जैदी की किताब पर बनी फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे‘ जो कि 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट पर आधारित थी। चूंकि उस समय बम ब्लास्ट का केस कोर्ट में चल रहा था। इसीलिए सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को भी बैन कर दिया।

इसके साथ हीं ‘द पिंक मिरर‘, ‘अनफ्रीडम’, ‘वाटर’, ‘परजानिया’, ‘पांच’, ‘सिंस’, ‘उर्फ प्रोफेसर’, ‘इंशाल्लाह, फुटबॉल’, ‘डेज्ड इन दून’ और ‘मोहल्ला अस्सी’ को अब तक प्रतिबंधित फिल्म में शामिल है।

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