सरकार ने जनता से राय मांग रही कि व्हाट्सऐप, स्नैपचैट, गूगल हैंगआउट्स जैसे इंटरनेट बेसिस कम्युनिकेशन्स से इंक्रिप्टेड मैसेज डिलीट करने को गैरकानूनी बनाना तथा कम से कम तीन महीने पुराने मैसेज प्लेन टेक्स्ट में सेव करके रखें। इस नियम को इसलिए बनाने की योजना बनाई गयी है कि जांच-पड़ताल में पुलिस के मांगे जाने पर इसे दिखाना पड़े। नई ड्राफ्ट पॉलसी पर 21 सितंबर को विवाद बढ़ने से सरकार ने इस मसौदे से कदम पीछे खींच लिए और सफाई दी कि अभी कोई नियम नहीं बनाया गया है।
आईटी मंत्रालय सूत्रों के अनुसार यूजर्स तीन महीनों तक एंक्रिप्टेड डाटा सेव रखने पर मजबूर नहीं किया जाएगा। सोमवार सायंकाल को समाचार मिली कि सरकार ट्सऐप, स्नैपचैट या आनलाईन चैट के अन्य माध्यमों पर खुफिया निगरानी पैनी करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने जनता से सुझाव मांगने के लिये इंटरनेट सुरक्षा का जो मसौदा जारी किया है, उसमें सेवा प्रदाता के साथ यूजर्स पर भी तीन महीनों तक मैसेजेस संभाल कर रखने की जिम्मेदारी डाली गई है, जिसकी आलोचना का श्रीगणेश भी हो गई थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार मैसेज डिलीट न करने के साथ यूजर्स को जरूरत पड़ने पर इनका विवरण सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ साझा करना होगा। और इंटरनेट कंपनियों को एंक्रिप्शन तकनीक भी सुरक्षा एजेंसियों से साझा करनी पड़ेगी, नहीं तो उन्हें गैरकानूनी करार दिया जा सकता है। अब फोन कंपनियों की तरह इंटरनेट कंपनियों को भी इन संदेशों का तीन महीनों तक रिकॉर्ड रखना पड़ेगा।