मुबंई में 1993 में हुए 13 बम धमाकों के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम सरेंडर करना चाहता था।उसने इस बारे में सीबीआई के तत्कालीन डीआईजी नीरज कुमार से बात भी की थी, लेकिन कुछ कारणों से जांच एजेंसी ने उसके इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया।एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक नीरज कुमार ने बताया कि उन्होंने जून 1994 में तीन बार दाऊद इब्राहिम से बात की थी। कुमार तब इस मामले की जांच कर रहे थे। कुमार ने बताया कि दाऊद हर बात का जवाब देने को तैयार था, लेकिन वह एक बात को लेकर फिक्रमंद था। उसे इस बात की चिंता थी कि कहीं सरेंडर के बाद उसके दुश्मन उसे जान से न मार दें।हालांकि, कुमार ने दाऊद को सीबीआई की ओर से सुरक्षा की पूरी गारंटी दी थी, लेकिन बात आगे बढ़ती इससे पहले ही सीबीआई के आला अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया।नीरज कुमार ने बताया कि दाऊद ने दावा किया था कि मुंबई बम धमाके में उसका कोई हाथ नहीं था। हालांकि पुलिस के पास दाऊद के खिलाफ काफी सबूत थे। मुंबई पुलिस के बाद सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।कुमार ने बताया कि दाऊद से उनका संपर्क मनीष लाला ने करवाया था। वह दाऊद का कानूनी रणनीतिकार था। लाला से कुमार की मुलाकात मुंबई की आर्थर रोड जेल में हुई थी। दाऊद गैंग के कुछ गुर्गों से पूछताछ के दौरान उन्हें मनीष लाला के बारे में पता चला। इसके बाद जब उन्होंने लाला के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। बाद में जेजे अस्पताल शूटआउट के एक अन्य मामले में उसने सरेंडर कर दिया। इसके बाद वह लाला से मिलने ऑर्थर रोड जेल गए।कुमार का कहना है कि लाला ने दाऊद के आत्मसर्मपण करने की इच्छा का खुलासा किया था और कहा था कि वह मुंबई के सीरियल धमाकों में अपनी बेगुनाही साबित करना चाहता है।मुंबई में 1993 में 13 सीरियल धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग इसमें घायल हुए थे।