आईसीसी अध्यक्ष मुस्तफा कमाल इतने नाराज हुए कि विश्वकप का फाइनल मुकाबला समाप्त होने से पहले ही वे ग्राउंड से बाहर चले गये और पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अनुपस्थित रहे, क्योंकि बुधवार को आईसीसी अध्यक्ष मुस्तफा कमाल ने अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उनके अधिकारों का हनन हुआ है. उन्हें विश्वकप विजेता को ट्रॉफी प्रदान नहीं करने दिया गया, जबकि यह उनका हक था। 31 मार्च को जब मुस्तफा ने यह बयान दिया था कि वे आईसीसी से जुड़े कई बड़े खुलासे कर देंगे, उसी वक्त इस बात का अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वे पद छोड़ सकते हैं। ढाका पहुंचने के साथ ही उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।विश्वकप विजेता को आईसीसी का प्रमुख ही ट्रॉफी प्रदान करता है। आईसीसी के संविधान में यह बात वर्णित है, हालांकि 1996 से पहले यह स्थिति नहीं थी. इसलिए मुस्तफा ने विश्वकप विजेता को ट्रॉफी प्रदान करने की बात कही थी, लेकिन उनपर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच खेले गये क्वार्टर फाइनल के दौरान एक अंपायर के फैसले पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके कारण उन्हें ट्रॉफी देने से रोक दिया गया। साथ ही एक पक्ष यह भी है कि जब चेयरमैन से पास सारे कार्यकारी अधिकार हैं, तो आईसीसी का प्रमुख अध्यक्ष को कैसे माना जाये। इन परिस्थितियों में चैंपियन को ट्रॉफी एन श्रीनिवासन ने सौंपी और मुस्तफा अनुपस्थित रहे।