मानना है कि अगर 2011 में वर्ल्ड कप की ट्रोपी भारत के नाम हुई तो उसकी वजह बने हीरो युवराज सिंह। उस वक्त वर्ल्ड कप सीरीज के दौरान युवराज ने कुल 15 विकेट लिये थे, वहीं भारतीय टीम के कप्तान ऐसा मानते है कि बीते टूर्नामेंट का सबसे अच्छा खिलाडी अब बदले हुए नियमों में बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं रहा। धोनी ने कहा कि वे अब उतना प्रभाव भी नहीं डाल पाते जितना पिछले वर्ल्ड कप में डाला था। 30 गज के बाहर चार फिल्डर वाले नियम के चलते उनकी टीम को युवराज जैसे खिलाड़ी को खोना पड़ा। जब उनसे पूछा गया कि क्या रैना 2011 में युवी वाली भूमिका निभा सकते हैं तो धोनी ने कहाकि, आप देखेंगे कि नियम बदलने के बाद युवी ने ज्यादा गेंदबाजी नहीं की। हमें मानना पड़ेगा कि नियम बदलने के बाद से उनकी गेंदबाजी पर असर पड़ा है हालांकि टी20 में वे अब भी नियमित गेंदबाजी करते हैं। नए नियमों के आने से पहले हमारे लिए वीरू पाजी, सचिन पाजी और युवी गेंदबाजी करते थे और हम उन पर निर्भर रहते थे। लेकिन वे सब पार्ट टाइम गेंदबाजी करते थे। विकेट में मदद होने पर रैना अच्छा विकल्प है। मुझे लगा कि आयरलैण्ड के खिलाफ मैच में मुझे उनकी जरूरत थी। धवन और रोहित भी अच्छे पार्ट टाइमर है लेकिन कंडीशन के हिसाब से ही मैं उन्हें प्रयोग कर सकता हूं। युवराज 2011 के वर्ल्ड कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए थे। उन्होंने 15 विकेट और 300 से ज्यादा विकेट लिए थे। रैना-युवराज की तुलना पर धोनी ने कहाकि, अगर आप युवी का कॅरियर देखेंगे तो तो पता चलेगा कि उसने पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करना शुरू किया। इसके बाद वह नंबर चार पर आने लगा। 2005 के बाद से युवी चौथे नंबर पर ही बल्लेबाजी करते थे। पांच नंबर पर पहले कैफ और फिर बाद में मैंने भी बल्लेबाजी की। अब पांच नंबर पर रैना आता है। इसलिए तुलना करना मुश्किल है क्योंकि रैना और युवी का बल्लेबाजी क्रम अलग-अलग है।