कला के धनी थे किशोर कुमार,600 से ज्यादा फिल्मों में दी आवाज

October 13, 2015 | 02:09 PM | 1 Views
kishore_kumar_niharonline

हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में छह दशक तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाले अशोक कुमार ने 600 से भी ज्यादा हिन्दी फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। किशोर साहब को उनकी आवाज के लिए कहा गया कि महान प्रतिभाए तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं लेकिन किशोर कुमार जैसा गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है।

मध्यप्रदेश के खंडवा में 4 अगस्त 1929 को मध्यवर्गीय बंगाली परिवार के अधिवक्ता कुंजी लाल गांगुली के सबसे छोटे बच्चे थे किशोर कुमार।सबसे छोटे नटखट आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार का रूझान बचपन से ही पिता के पेशे वकालत की तरफ न होकर संगीत की ओर था।सहगल से मिलने की चाह लिये किशोर 18 साल की उम्र मे मुंबई पहुंचे। लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई। उस वक्त तक उनके बड़े भाई अशोक कुमार बतौर अभिनेता अपनी पहचान बना चुके थे। अशोक कुमार चाहते थे कि किशोर एक्टर के रूप मे अपनी पहचान बनाए लेकिन खुद किशोर कुमार को अदाकारी की बजाय पार्श्व गायक बनने की चाह थी।उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नहीं ली थी। जबकि बॉलीवुड में अशोक कुमार की पहचान के कारण उन्हें बतौर अभिनेता काम मिल रहा था।अपनी इच्छा के विपरीत किशोर कुमार ने अभिनय करना जारी रखा। जिन फिल्मो में वह बतौर कलाकार काम किया करते थे उन्हे उस फिल्म में गाने का भी मौका मिल जाया करता था।बतौर गायक सबसे पहले उन्हें वर्ष 1948 में बाम्बे टाकीज की फिल्म ‘जिद्दी‘ में सहगल के अंदाज मे हीं अभिनेता देवानंद के लिये ‘मरने की दुआएं क्यूं मांगू‘ गाने का मौका मिला। किशोर कुमार ने 1951 मे बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म ‘आन्दोलन‘ से अपने करियर की शुरूआत की 1953 में प्रदर्शित फिल्म ‘लड़की‘ बतौर अभिनेता उनके कैरियर की पहली हिट फिल्म थी।

किशोर कुमार को उनके गाये गीतों के लिये 8 बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।किशोर कुमार ने कई अभिनेताओ को अपनी आवाज दी लेकिन कुछ मौकों पर मोहम्मद रफी ने उनके लिये गीत गाये थे। 1987 में किशोर ने निर्णय लिया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा लौट जायेंगे लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया से विदा हो गये।

ताजा समाचार

सबसे अधिक लोकप्रिय