सांप्रदायिक घठनाओं में फंस गये मोदी

February 26, 2015 | 11:59 AM | 49 Views
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ह्यूमन राइट्स ग्रुप ऐमनस्टी इंटरनैशनल ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि भारत में नई मोदी सरकार के शासन दौरान सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी है । संगठन ने यह भी कहा है कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की वजह से हजारों भारतीयों के मन में जबरन बेदखली का खतरा पैदा हो गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को वार्षिक रिपोर्ट 2015 को जारी करते हुए पिछले साल मई में आम चुनावों को लेकर चुनाव संबंधी हिंसा, सांप्रदायिक झड़पों और कॉर्पोरेट परियोजनाओं पर सलाह मशविरे में नाकामी को मुख्य चिंताओं के तौर पर जाहिर किया। रिपोर्ट के अनुसार, मई में आम चुनाव के बाद सुशासन और विकास का दावा करने वाली भाजपा सरकार सत्ता में आई और पीएम मोदी ने गरीबी में जी रहे लोगों के लिए वित्तीय सेवा की पहुंच व स्वच्छता बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई। इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकारी लगातार लोगों की निजता और अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। यूपी व कुछ अन्य राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा में इजाफा हुआ और भ्रष्टाचार, जाति आधारित भेदभाव के अलावा जातिगत हिंसा फैली। सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए कहा गया है कि चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव पैदा हो गया। कुछ नेताओं पर भी भड़काऊ भाषण देकर हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप लगे।दिसंबर में हिंदू संगठनों पर कई मुस्लिम और ईसाइयों को जबरन हिंदू धर्म में शामिल करने का भी आरोप लगा था।

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