इस आक्रोश के स्वर में मेरा स्वर भी है

March 09, 2015 | 02:51 PM | 26 Views
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जम्मू-कश्मीर अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई के मुद्दे पर विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस ने लोकसभा में मसर्रत का मुद्दा उठाया। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा। पहले तो सरकार ने गृहमंत्री से काम चलाने की कोशिश की। लेकिन विपक्ष पीएम के बयान के लिए अड़ा रहा। विपक्ष की मांग पर पीएम ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि भाजपा जम्मू में सरकार में हिस्सेदार है, उसकी आलोचना का पूरा हक विपक्ष को है। लेकिन सरकार आपको आश्वस्त करना चाहती है कि ऐसी किसी भी हरकत को स्वीकार नहीं करती है। हमेशा संविधान की मर्यादाओं में कदम उठाए जाते रहे हैं। अब भी उठाए जा रहे हैं और आगे भी उठाए जाते रहेंगे। पीएम ने कहा कि ये आक्रोश किसी एक दल का नहीं है। यह आक्रोश पूरे देश का है और देश की एकता-अखंडता के लिए जो भी आवश्यक होगा, उस पर सरकार पीछे नहीं हटेगी। जम्मू-कश्मीर सरकार के निर्णय के बारे में भारत सरकार को कोई जानकारी नहीं थी। अलगाववादी समर्थकों को हम हमारा आक्रोश अभिव्यक्त करते हैं।जम्मू-कश्मीर सरकार ने केन्द्र से कोई सलाह नहीं ली थी। उन्होंने कहा कि कुछ बातों पर हमने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद उसे सदन के पटल पर रखा जाएगा। गृहमंत्री ने कहा कि हम राजनीति सरकार नहीं देश बनाने के लिए करते हैं। मसर्रत आलम की रिहाई के बारे में जैसे ही सरकार को जानकारी हुई। सरकार ने तुरंत उसकी रिपोर्ट मंगवाई। रिपोर्ट के मुताबिक 1995 से अब तक उसके ऊपर कुल 27 मामले दर्ज हैं। उसे 2010 में गिरफ्तार किया गया था।उधर, राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेंगे। लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और हंगामा बंद नहीं हुआ। लिहाजा, राज्यसभा को स्थगित करना पड़ा। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन वाली सरकार है। ऐसे में केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देना ही होगा। संसदीय कार्य मंत्री वेंकय्या नायडु ने कहा कि यह बेहद संभीर मामला है और पूरे देश से जुडा हुआ है। यह किसी एक पार्टी से जुडा मामला नहीं है।

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