आजकल राजधानी के भाजपा हलकों से लेकर राजनीति बैठकों तक यह दो सवाल उठ रहे है कि क्या किरण बेदी फिऱ से भाजपा के दफ्तर में जाना शुरू करेंगी? क्या वे भाजपा को मजबूती देने के लिए एक्टिव होंगी ? दिल्ली विधानसभा का चुनाव में भाजपा हार गई, बेदी भी कृष्णा नगर से चुनाव हारीं।जानकार सूत्रों के अनुसार किरण बेदी बेहद महत्वाकांक्षी किस्म की इंसान है।अगर उन्हें किसी जगह से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं रहती तो वे उससे दूर हो जाती हैं। अब उन्हें भाजपा से कुछ भी मिलने के उम्मीद नहीं है।भाजपा को भी उनकी हैसियत का अंदाजा हो गया है। इसलिए हो सकता है कि दोनों की कुछ समय तक रही दोस्ती का भी अब अंत हो जाए। दिल्ली भाजपा के प्रभारी सतीश उपाध्याय ने रविवार के दिन एक इंटरव्यू में कहा कि अब किरण बेदी को खुद तय करना है कि वे पार्टी में किस तरह से एक्टिव होना या रहना चाहती हैं। उन्होंने बेदी के भाजपा से आगे के संबंधों पर इससे ज्यादा कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।एक रिपोर्ट के अनुसार बेदी भाजपा में शामिल होते ही दिल्ली भाजपा के दफ्तर में आऩन-फानन में तैय्यार किये उनका कमरा में तमाम आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाये इस रूम फिलहाल खाली पड़ा है। किरण बेदी चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही नदारद है, वे रविवार के दिन भाजपा प्रमुख अमित शाह के पुत्र की दिल्ली में आयोजित भोज में भी नहीं दिखीं। हालांकि इस अवसर पर बड़ी तादाद में भाजपा और दूसरे दलों के नेता मौजूद थे।सूत्रों के अनुसार अगर वे भाजपा में एक्टिव भी होना चाहेंगी तो उन्हें पार्टी के पुराने नेता आगे नहीं आने देंगे। उनकी खिंचाई करेंगे। सबको पता चला कि उनके पास ना तो आधार है और ना ही उनमें नेता बनने के लिए जरूरी गुण।ऐसी स्थिति में अब किरण बेदी की खदम किरत चलेगी यह भगवान जाने।