देश में असहिष्णुता पर चल रही बहस के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विभाजनकारी विचारों को दिमाग से हटाने पर जोर देते हुए आज कहा कि भारत की असल गंदगी गलियों में नहीं, बल्कि हमारे दिमाग में और उनके और हमारे बीच समाज को विभाजित करने वाले विचारों को दूर करने की अनिच्छा में है।
मुखर्जी ने यहां साबरमती आश्रम में आयोजित एक समारोह में भारत के बारे में महात्मा गांधी की सोच का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने एक समावेशी राष्ट्र की कल्पना की थी जहां देश का हर वर्ग समानता के साथ रहे और उसे समान अधिकार मिले।उन्होंने कहा कि मानव होने का मूल एक दूसरे पर हमारे भरोसे में है।
उन्होंने कहा कि हर दिन, हम अपने चारों ओर अभूतपूर्व हिंसा होते देखते हैं। इस हिंसा के मूल में अंधेरा, डर और अविश्वास है।जब हम इस फैलती हिंसा से निपटने के नए तरीके खोजें, तो हमें अहिंसा, संवाद और तर्क की शक्ति को भूलना नहीं चाहिए।प्रणब दादरी में भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किए जाने और ऐसी ही अन्य घटनाओं के बाद से असहिष्णुता के खिलाफ बोलते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अहिंसा नकारात्मक शक्ति नहीं है और हमें अपनी सार्वजनिक अभिव्यक्ति को सभी प्रकार की हिंसा, शारीरिक के साथ साथ मौखिक- से मुक्त करना चाहिए। केवल एक अहिंसक समाज ही हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में खासकर वंचित लोगों समेत सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है।