जब इनसान के अंदर हिम्मत हो तो उसे विजय रथ पर पहुंचने में कितने भी कठिनाइयों का सामना करने पड़े तो भी वह कुछ मायना नहीं रखती है। ठीक इसी तरह पंजाब के शताब्दी पार करके 105 वर्ष में पहुंच गया है। जज्बा और हिम्मत हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती है इस बात का नमूना पेश किया जापान के हिदेकिची मियाजाकी।
बुधवार को 100 मीटर दौड़ 42.22 सेकेंड में पूरी कर न सिर्फ विश्व रिकॉर्ड बनाया, बल्कि सपाट तलवे वाले धावक ने मेडिकल साइंस को भी झूठा साबित कर दिया।
गोल्डन बोल्ट के नाम से मशहूर 105 वर्षीय मियाजाकी दुनिया के सबसे तेज धावक बन गए। दौड़ जीतने के बाद मियाजाकी ने कहा कि रेस के दौरान मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे, मैं इस समय संतुष्ट नहीं हूँ। क्योंकि मुझे लगा कि मैं बहुत धीरे-धीरे भाग रहा हूँ। शायद अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ। मैने इस दौड़ के लिये कड़ी मेहनत की है। असल में मैं ने 35 सेकेंड में दौड़ पूरी करने का लक्ष्य रखा था। मुझे मेरी सेहत पर गर्व है क्योंकि अभी भी इससे और तेज भाग सकता हूँ।