4 साल में 11 वैज्ञानिकों की मौत

October 09, 2015 | 02:40 PM | 6 Views
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भारत में चार सालों में 11 वैज्ञानिकों की मौत हुई है। इन लोगों की मौत किसी साधारण तरीके से नहीं बल्कि एक मिस्ट्री जैसी हुई है। परमाणु उर्जा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार देश में चार सालों में 11 परमाणु वैज्ञानिकों की अप्राकृतिक रूप में मृत्यु होने के समाचार आए है। उर्जा विभाग की प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों व इंजीनियरों की विस्फोट में या समुद्र में डूबने से या फांसी पर लटकने से मौत हो गई।  विभाग ने बताया कि परमाणु उर्जा निगम के भी तीन अधिकारियों की इस अवधि में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। भारत में 2009 से 2013 के बीच चार वर्षों में 11 परमाणु वैज्ञानिकों की मृत्यु हुई थी।
मृतकों में से दो ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी और एक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। बार्क, ट्रांबे में कार्यरत सी-समूह के दो वैज्ञानिकों के शव उनके घरों पर लटके हुए मिले थे, वहीं रावतभाटा में इसी दर्जे का एक वैज्ञानिक अपने आवास पर मृत मिला। बार्क के एक मामले में पुलिस का दावा है कि उन्होंने लंबी बीमारी की वजह से खुदकुशी कर ली और मामला बंद कर दिया गया, वहीं बाकी मामलों में अब भी जांच चल रही है।
रसायनविज्ञान की प्रयोगशाला में 2010 में दो वैज्ञानिकों की रहस्यमयी तरीके से लगी आग में मृत्यु हो गई थी। एफ-ग्रेड के एक वैज्ञानिक की मुंबई में उनके आवास पर हत्या कर दी गई। संदेह है कि उनकी गला दबाकर हत्या की गई लेकिन अभी तक आरोपी का पता नहीं है। आरआरसीएटी के डी-ग्रेड के एक वैज्ञानिक ने भी कथित तौर पर खुदकुशी कर ली जिसके बाद पुलिस ने मामले को बंद कर दिया।
कलपक्कम में कार्यरत एक और वैज्ञानिक ने 2013 में कथित तौर पर समुद्र में कूदकर जान गंवा दी, वहीं एक मामले में अब भी जांच चल रही है जिसमें मुंबई के एक वैज्ञानिक ने कथित तौर पर फांसी पर लटककर खुदकुशी कर ली थी जिसके लिए पुलिस निजी कारणों को जिम्मेदार बता रही है। एक वैज्ञानिक ने कथित तौर पर कर्नाटक के करवर में काली नदी में कूदकर जान दे दी। पुलिस ने इसके पीछे भी निजी वजह बताईं।

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