शायद इसी का नाम राजनीति है ..

October 01, 2015 | 11:23 AM | 3 Views
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अनिल कुमार साधु कल तक पार्टी से निकाले जाने के बाद चिराग को ना जाने क्या-क्या कह बैठे थे। यहां तक कि लोजपा पर वंशवाद का आरोप लगाकर पप्पू यादव के दर पर मत्था टेकने गये थे। लेकिन आज अचानक ससुर और साले की तारीफ करने लग गये हैं।

साधू पूरी इज्जत के साथ बात करते हुए कह रहे हैं कि, हमारी कोई व्यक्तिगत लड़ाई आदरणीय पासवान जी और चिराग जी से नहीं है। हमारी लड़ाई कार्यकर्तों के मान-सम्मान के लिए थी। बिहार विधानसभा में जो आर-पार की लड़ाई है, उसमें हमने सब चीजों पर समझौता कर लिया है। अब हमारी ससुर जी से भी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, चिराग हमारे छोटे भाई हैं और हमारे नेता भी। उनके बारे में हमने जो टिप्पणी की थी, वो एक कार्यकर्ता की हैसियत से थी ना कि अभिभावक के तौर पर। हम अपनी उस टिप्पणी को वापस लेते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा बस एक ही मेन मुद्दा है कि इस वर्ष की जो आर -पार की लड़ाई है, उसमें हम उनके नेतृत्व में लड़ेंगे और कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।

कुछ लोगों के मानना है कि साधु के यह अचानक बदलाव का अंतर्गत देव भी नहीं पाया। इनका गाडी आगे जाकर फिर एक बार रास्ता बदलकर दूसरी ओर नहीं होंगे ना टर्न।

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