राजनीति में उत्तराधिकारी तैयार करने का खेल शुरू से ही चलता आ रहा है। गांधी परिवार से लेकर बिहार के दिग्गज राजनीतिज्ञ लालू यादव सहित कई इसके उदाहरण हैं। अब कमोवेश इसी राह पर जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह अपने दामाद राजकमल राव को न केवल अधिकतर समय साथ लेकर चलते हैं, बल्कि राजनीति की बारीकियां भी समझाने लगे हैं।
नीतीश कुमार की एक रैली में मोदी - मोदी नारे लगे थे और शरद यादव को जूते भी दिखाए गए। इस पर शरद ने कहा कि बाजपा को ये काम करते रहना चाहिए इससे देश की जनता के सामने उनका चेहरा आएगा। एक चप्पल दिखाने से एक हजार बोट बढ़ेंगे और उनके एक जूता दिखाने से हमें एक लाख वोट ज्यादा मिलेंगे।
भाषण में जातिगत बात करके चुनाव आयोग के रडार में आए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद का बचाव करते हुए शरद यादव ने कहा कि उनके कहने का मतलब यह था कि बिहार की लड़ाई पिछड़ी जातियों और अगड़ी जातियों के बीच है। लालूजी ने कहा है कि गरीब तबका विकास के लिए एक हो जाए। आरक्षण को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जो कुछ बोला है वो पिछले 68 सालों में किसी ने नहीं कहा। हिंदुस्तान में मुक्ति तब होगी जब जातिप्रथा को तोड़ा जाएगा।