गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अल्पसंख्यकों की पूर्ण रक्षा का सोमवार के दिन संकल्प लेते हुए धर्मांतरण पर सवाल उठाया और धर्म-परिवर्तन विरोधी कानून की आवश्यकता पर बहस की वकालत की। राजनाथ सिंह ने राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि क्या धर्मांतरण में संलिप्त हुए बिना लोगों की सेवा नहीं की जा सकती। घर वापसी और धर्म-परिवर्तन के बारे में कभी कभी अफवाहें फैलती हैं और विवाद होते हैं।किसी भी प्रकार का धर्मांतरण होना ही क्यों चाहिए। अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदाय धर्म-परिवर्तन विरोधी कानून की मांग करते हैं।हम केवल यह कह रहे हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून होना चाहिए। इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए। धर्मांतरण विरोधी कानून लाने पर विचार करना चाहिए। आप सब से विनम्र निवेदन करता हूं कि आप इस विषय पर सोचें। इस सम्मेलन में विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। गृह मंत्री ने ऎसे समय पर यह बयान दिया है जब हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा शुरू की गई धर्मांतरण विरोधी मुहिम और मदर टेरेसा के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के बयानों को लेकर विवाद छि़डा हुआ है।सिंह ने कहा कि हम धर्म-परिवर्तन किए बिना लोगों की सेवा क्यों नहीं कर सकते जो लोगों की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें यह काम धर्म-परिवर्तन में संलिप्त हुए बिना करना चाहिए। क्या हम इस समस्या का समाधान नहीं खोज सकते।सिंह ने कहा कि इस विषय को लेकर समाज की भूमिका के साथ साथ जिम्मेदारी भी है।उन्होंने आगे कहा कि मै भगवान की शपथ लेकर यह कहता हूं कि मै पूरे देश को बताना चाहता हूं कि मैं अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कुछ भी करूंगा, इसके लिए किसी भी हद तक जाउंगा।