आपातकाल के 40 साल पूरे होने पर दिल्ली में बीजेपी के एक कार्यक्रम में अमित शाह इमरजेंसी में जेल जाने वालों को सम्मानित करने पहुंचे थे लेकिन कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी को ही नहीं बुलाया गया।इसके पीछे लालकृष्ण आडवाणी का आपातकाल को लेकर दिया वो बयान माना जा रहा है जिससे पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी।लालकृष्ण आडवाणी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था में आज भी आपातकाल की आशंका है।इमरजेंसी के बाद ऐसा कुछ नहीं किया गया जिससे भरोसा हो कि नागरिक स्वतंत्रता फिर से नष्ट या निलंबित नहीं की जाएगी।किसी के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा लेकिन मैं नहीं कह सकता कि ऐसा फिर नहीं हो सकता।लाल कृष्ण आडवाणी को कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का एक और मौका मिल गया।1975 में लगाये गये आपातकाल के 40 साल पूरे होने पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वे लोग सम्मानीय हैं, जिन्होंने आपातकात के खिलाफ आवाज उठाई और उन्होंने ही यह सुनिश्चित भी किया कि उसके बाद कोई दूसरा भविष्य में इस गलती को दोहराने की हिम्म्त न करे।देश को तानाशाही से बचाने के लिए पार्टी की आंतरिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की जरूरत पर बल देते हुए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने चेतावनी दी कि अगर सत्ता किसी व्यक्ति विशेष के पास केंद्रित होगी, तो इससे देश में आपातकाल की स्थिति पैदा होगी और लोगों को आह्वान किया कि इसी बात को ध्यान में रखते हुये उन्हें हमेशा विचारधारा के पक्ष में वोट करना चाहिए न कि किसी व्यक्ति के पक्ष में।