जाट जाती के लोगों को मिली आरक्षण की सुविधा को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि जाट आरक्षण की जरूरत नहीं है। देश के 9 राज्यों में जाट आरक्षण लागू था। यूपीए सरकार में ये फैसला लिया गया था जिसे मोदी सरकार ने भी जारी रखा था। सोमवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सुनवाई में कहा है कि जाटों को आरक्षण की जरूरत नहीं है।यूपीए सरकार ने 2014 में जाठों को ओबीसी लिस्ट में शामिल किया था, जिससे उन्हें 9 राज्यों में OBC कोटे के तहत आरक्षण मिल गया था, लेकिन कुछ ओबीसी संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी दलील थी कि ओबीसी में जाठों को शामिल करने से ओबीसी लिस्ट पहले से मौजूद जातियों पर असर पड़ेगा। कोर्ट का कहना है कि जबसे एससी रिजर्वेशन शुरू हुआ है तब से इसमे सिर्फ इंकलूजन ही हुआ है , कोई एक्सक्लूजन नहीं हुआ है और सरकार द्वारा बगैर तथ्यों के लिया गया फैसला था एवमॆ ये गलत है।