91 वर्षों से संघ की ट्रेड मार्क रही खाकी हाफपैंट अब विदा ले रही है और संगठन समय के साथ आगे बढ़ने के अपने प्रयासों के तहत भूरी पैंट ला रहा है।हालांकि संघ की वर्दी की बाकी चीजों में वक्त के साथ बदलाव हुआ, लेकिन खाकी हाफ पैंट पिछले 91 वर्षों से ऐसी ही है।
फुल पैंट में सभी स्वंयसेवक इस वर्ष के विजयादशमी से दिखेंगे।आरएसएस के संघचालक (कोंकण क्षेत्र) सतीश मोध ने कहा कि संघ के सदस्य इस वर्ष विजयादशमी से खाकी हाफ पैंट के स्थान पर भूरी फुल पैंट पहनना शुरू करेंगे।
संघ के एक प्रचारक के मुताबिक विजयदशमी का दिन संघ और स्वयंसेवकों के लिए काफी अहम है।
इसी दिन 1925 में डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी।उन्होंने बताया कि हम नया गणवेश विजयदशमी के दिन से पूरी तरह लागू करने की सोच रहे हैं, क्योंकि तब तक का वक्त भी मिल जाएगा और सभी स्वयंसेवकों तक नया गणवेश पहुंच भी जाएगा। उन्होंने कहा कि 50 हजार से ज्यादा गांवों, कस्बों और शहरों तक यह बदलाव करना है तो इतना वक्त लग जाएगा।
एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक केंद्रीय स्तर से क्षेत्रीय स्तर और फिर प्रांतीय स्तर तक गणवेश बदलने का संदेश पहुंचाया जाएगा।कौन सा भूरा रंग फुल पैंट के लिए इस्तेमाल करना है और कौन सा कपड़ा इस्तेमाल होना है, इसकी जानकारी सबको दे दी जाएगी।पैंट खादी की होगी।प्रांतीय स्तर की टीम जिला स्तर तक यह जानकारी देगी और हर जिला नए गणवेश की तैयारी करेगा।उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा काम है और हर जिला टीम को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी।