21 जून को पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर भारत सहित 125 से अधिक देशों में योग और उससे संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।इसमें ईरान, सीरिया,अफगानिस्तान और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश भी शामिल हैं।हालांकि भारत में कुछ मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इसे अनिवार्य न बनाया जाए क्योंकि योग और सूर्यनमस्कार इस्लाम के अवधारणा के खिलाफ है।उधर, केंद्रीय संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि योग तो हेल्थ से जुड़ा मामला है, जिस पर सियासत नहीं होनी चाहिए।यूरोप और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों में योग का तेजी से विस्तार हो रहा है। इन देशों में यह पूरी तरह से स्वीकार्य है। इतना ही नहीं ईरान, सीरिया और अफगानिस्तान जैसे मुस्लिम देश में भी काफी संख्या में लोग योग करते हैं।इसके लिए वहां सैकड़ों की संख्या में योग केंद्र खुले हुए हैं।लेकिन कुछ भारतीय मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि मोदी सरकार हमपर हिंदुत्व थोपने की कोशिश कर रही है।देश, विदेश के कई विशेषज्ञों का मानना है कि योग को धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यह स्वस्थ शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी व्यायाम है। जबकि मुस्लिम संगठनों का कहना है कि योग और सूर्यनमस्कार में जिस तरह से शरीर को मोड़ना पड़ता है वैसा हम नहीं कर सकते। मुसलमान अल्लाह के सिवा किसी के आगे नहीं झुक सकते।21 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने पर भारत सरकार एक विशाल कार्यक्रम आयोजित करेगी। इस विशेष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे। पीएम मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल दिसंबर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था।