फाइनेंस मिनिस्ट्री ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम का ड्राफ्ट पेश किया।इस स्कीम का मकसद भारतीयों के घरों में पड़े हुए गोल्ड को फाइनेंशियल सिस्टम में लाना है ताकि उसकी वैल्यू अनलॉक हो सके।इस योजना के तहत मिलने वाले ब्याज पर टैक्स न लेने का प्रस्ताव है वहीं ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए प्रावधान किया गया है कि कम से कम 30 ग्राम सोने से भी शुरुआत की जा सकती है।मंत्रालय चाहता है कि गोल्ड की हाउसहोल्ड और इंस्टीट्यूशनल होल्डिंग्स का उपयोग करते हुए इस कीमती धातु के आयात पर निर्भरता घटाई जाए।आम लोगों के अलावा इस स्कीम से मंदिर, ट्रस्टों, ज्वैलर्स और बैंकों को भी फायदा होगा।सरकार इस स्कीम को वेल्थ टैक्स, कैपिटल गेंस टैक्स और इनकम टैक्स से छूट दे सकती है।ड्राफ्ट पर सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं मिल जाने के बाद योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।अनुमान है कि देश में तमाम घरों में कुल 20,000 टन सोना पड़ा हुआ है।ड्राफ्ट के अनुसार डिपॉजिट बुलियन या ज्वैलरी किसी भी रूप में किया जा सकेगा।कस्टमर को अपनी ज्वैलरी 350 हॉलमार्किंग सेंटर्स में से किसी एक पर टेस्ट करानी होगी ताकि यह पता चले कि उसमें कितना प्योर गोल्ड है।इन सेंटर्स को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने सर्टिफिकेट दिया है।अगर कस्टमर उस सेंटर के आकलन से सहमत होता है, तो वह बैंक में सोना जमा करने के लिए नो योर कस्टमर फॉर्म भरेगा और अपने सोने को पिघलाए जाने की इजाजत देगा।इसमें बमुश्किल 45 मिनट लगेंगे।इसके बाद ज्वैलरी की प्रोसेसिंग होगी और प्योर गोल्ड को तीन-चार घंटों की प्रक्रिया के बाद अलग किया जाएगा।अगर संबंधित व्यक्ति इस स्कीम से फिर भी हटना चाहे तो वह बार के रूप में अपना गोल्ड वापस ले सकता है।जो लोग स्कीम से जुड़े रहना चाहेंगे, उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल बैंक में गोल्ड डिपॉजिट एकाउंट खोलने में होगा।ऐसे डिपॉजिट पर इंटरेस्ट रेट बैंक तय करेगा।