5 वर्षों में इस वायरस के शिकार हुए कई लोग

January 30, 2015 | 11:03 AM | 16 Views

रक्तदान को महादान कहते है, क्योंकि किसी बिमार या मरने की स्थिति में रहने वाले आदमी को ब्लड की जरूरत हो तो, उसे उस टाईम पर ब्लड डोनेट करके एक जीव को बचाना बहुत धर्म की बात है...लेकिन अब वहीं जान लेवा भी बन जा रही है, देशभर में इस महादान के माध्यम से रक्त पाने वाले लगभग 9000 लोग एचआईवी पॉजिटिव हो गए, जिसमें केवल महाराष्ट्र की बात करें तो पिछले 5 सालों में 969 लोग ब्लड ट्रांसफ्यूजन के चलते इस वायरस का शिकार हुए हैं। नैशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (एनएसीपी) की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना में यह बेहद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जानकार ब्लड ट्रांसफ्यूजन के चलते होने वाले इस संक्रमण के लिए कमजोर तकनीक के इस्तेमाल को जिम्मेदार मान रहे हैं। महाराष्ट्र में अप्रैल से अक्टूबर, 2014 तक 80 ऐसे लोग थे जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन के चलते एचआईवी पॉजिटिव हुए। आंकड़ों की मानें तो पिछले पांच वर्षों के इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा मामले यूपी में आए हैं जिसके चलते 1,099 लोग एचआईवी का शिकार हुए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर 1658 मामलों के साथ गुजरात दूसरे स्थान पर है। एन्जाइम लिंक्ड इम्यून-सोरबेन्ट एस्से टेस्ट (ईएलआईएसए) और न्यूक्लियर एसिड टेस्टिंग (एनएटी) दो ऐसे टेस्ट हैं जो रक्त एकत्रित करने के बाद ब्लड बैंक द्वारा किए जाते हैं। किसी भी ब्लड बैंक के लिए रक्त दिए जाने से पूर्व ब्लड की जांच किए जाना जरूरी है। ईएलआईएसए टेस्टिंग का विंडो पीरियड 3 से 6 महीने का है, जबकि एनएटी का 7 दिन का, यदि कोई व्यक्ति एचआईवी से 8 दिन पहले संक्रमित हुआ है और उसने ब्लड डोनेट किया है तो इस रक्त के संक्रमण की जानकरी एनएटी टेस्ट से ही मिल सकती है। जबकि ईएलआईएसए टेस्ट के माध्यम से संक्रमण के 3 से 6 महीने के बाद ही पता चल सकता है। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में ईएलआईएसए टेस्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके चलते इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

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