भारत की संस्कृती को लेकर अपने को बहुत खुशी और गर्व होती है, यहां पर तरह तरह के लोग अपने संस्कार और स्वभाव के अनुसार रहने की सुविधा है, लेकिन एक भय़ानक समस्या भारत में बाल विवाह आज भी अहम समस्या है, राजस्थान जैसे प्रदेश में आज भी पचास फीसदी बाल विवाह हो रहे हैं।नए जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 17 लाख बच्चों में से 6 फीसदी बच्चे जिनकी उम्र 10 से 19 के बीज है वह शादीशुदा हैं। साथ ही इनमें से कई बच्चें ऐसे हैं जिनकी शादी अपने से कई बूढ़े व्यक्तियों के साथ हुई है। भारत में बाल विवाह की समस्या को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत में वर्तमान समय में 130 लाख बाल बहुए हैं, जिसमें से 60 लाख बच्चियाँ माँ बन रहे है।कम उम्र में बच्चा पैदा करने से माँ और बच्चे दोनों के लिये स्वास्थ्य के लिये हानिकारक बन रही है। 2011 में 76 प्रतिशत यानी 1 करोड 7 लाख लडकियों का बाल विवाह हुआ था। भारत में मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 2014 में 190 हो गयी है जोकि 2006 में 254 थी, लेकिन अभी भी यह आंकड़ा काफी चिंता का विषय है। शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 में से 56 हो गयी है 2014 में जोकि 2006 में 68 थी। देश में मानव विकास दर के लिए यह आंकड़ा काफी चिंता का विषय है।