घातक संक्रामक बीमारी टीबी महम्मारी को लेकर चिंताजनक खुलासा हुआ है। मुंबई के आठ बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि टीबी के इलाज में उपयोग होने वाली प्रथम श्रेणी की दवाओं का असर घटता जा रहा है, इसके चलते मरीजों को द्वितीय श्रेणी की दवाएं दी जा रही हैं।अब मरीजों के बेहतर इलाज के लिए उन्हें द्वितीय श्रेणी की तीन दवाएँ जैसे मोक्सिफ्लोक्लोक्सिन, ओफ्लोक्सिन और इथिओनामाइड (इन्हें मिश्रित रूप से फ्लूरोक्विनोलोन्स कहा जाता है) दी जा रही हैं। यह अध्ययन मुंबई मेट्रोपोलिटन एरिया के मरीजों पर किया गया है, लेकिन यही स्थिति देशभर में लागू होती है। मेडिकल जर्नल PLOS वन में प्रकाशित रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हुआ है कि देश की प्रयोगशालाओं में टीबी के इलाज के लिए बेहतर और कारगर दवाएं बनाने पर काम नहीं हो रहा है, इससे देश में टीबी के फिर से महामारी का रूप लेने का खतरा पैदा हो गया है।