उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानि UPFDA की ओर से मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया और पांच अन्य पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। इनके खिलाफ बाराबंकी के फूड ऑफिसर वी. के. पांडे ने बारांबकी के एसीजीएम-1 कोर्ट में फूड एंड सेफ्टी एक्ट 2006 की धारा 58 और 59 के तहत मुकदमा दर्ज कराया।दरअसल पिछले दिनों यूपी के बाराबंकी जिले से मैगी के 12 अलग-अलग सैंपल लेकर केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट आई तो मैगी के इन पैकेटों में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई गई है, यह स्वीकार्य सीमा से लगभग सात गुना ज्यादा है। एफडीए के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल डीजी श्रीवास्तव के मुताबिक, मैगी नूडल्स में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई गई है। लेड की स्वीकार्य योग्य सीमा 0.01 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच है।आपको बता दें कि धारा 58 फूड मानकों के उल्लंघन के लिए है।इसमें 2 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, धारा 59 अनसेफ फूड के लिए लगाई जाती है। इसके तहत दोषियों को अधिकतम 7 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।फूड ऑफिसर पांडे ने बताया कि न्यू दिल्ली ईजीडे, नेस्ले इंडिया प्राइवेट लिमिटेड न्यू दिल्ली और ऊना (हिमाचल प्रदेश) में कंपनी के दफ्तर, ईजीडे के लाइसेंस धारक साहब आलम और ईजीडे के मैनेजर मोहन गुप्ता समेत छह पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।सोमवार को कोर्ट इन सभी को सम्मन भेजेगी।नेस्ले इंडिया कंपनी द्वारा मैगी के सैंपल को कोलकाता लैब में टेस्ट करवाने का दावा झूठा साबित हुआ है।कंपनी ने दावा किया था कि उसने मैगी का एक पैकेट सैंपल जांच के लिए बाराबंकी के खाद्य अधिकारी की मदद से कोलकाता की लैब में भिजवाया था, लेकिन बाराबंकी के फूड सेफ्टी ऑफिसर के मुताबिक कंपनी ने जांच कराने के लिए कोई प्रार्थना पत्र ही नहीं दिया।