केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन-भत्ते में 100 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिशों को करीब 50 फीसदी नामंजूर कर दिया है।सांसदों के वेतन-भत्तों को लेकर बनी संयुक्त समिति ने करीब 65 सिफारिशें की थीं।जानकारी के मुताबिक सरकार ने इसमें से करीब आधी सिफारिशों को स्वीकार करने से मना कर दिया है।18 सिफारिशों को नामंजूर कियश गया है जबकि 15 सिफारिशों पर सहमत नहीं है वहीं 3 पर आगे निर्णय करने की बात कही गई है।4 मामलों पर कहा गया है कि मौजूदा नियम में बदलाव की जरूरत नहीं है।एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।संयुक्त समिति अब 13 जुलाई को एक बार फिर बैठक करेगी।जानकारी के मुताबिक इस बैठक में सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा।दरअसल एक संसदीय समिति ने सांसदों के वेतन और दैनिक भत्तों में 100 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की है।कमेटी ने पूर्व सांसदों की पेंशन में 75 फीसदी इजाफे की सिफारिश की है।इसके अलावा समिति ने पूर्व सांसदों के पति या पत्नी की जगह उनके साथियों के लिए सुविधाओं की भी वकालत की है।दूरगामी सिफारिशें करते हुए बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली समिति ने सांसदों के मौजूदा वेतन, 50,000 रुपये को बढ़ाकर दोगुना करने को कहा है।साथ ही पूर्व सांसदों की पेंशन 20,000 रुपये से बढ़ाकर 35,000 रुपये करने की वकालत की है।समिति ने यह भी सिफारिश की है कि संसद सत्रों के दौरान सदन में मौजूदगी के लिए सांसदों को मिलने वाले दैनिक भत्ते को 2,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये किया जाए।सांसदों के वेतन-भत्तों का रिवीजन अंतिम बार 2010 में किया गया था।मौजूदा समिति की ओर से एक बार सिफारिशें सौंप दिए जाने के बाद अगला रिवीजन पांच साल बाद किया जाएगा।