IIT रुड़की ने 73 स्टूडेंट्स को निकाला

July 10, 2015 | 02:28 PM | 4 Views
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IIT रुड़की ने बीटेक फर्स्ट इयर के अपने 73 स्टूडेंट्स को एग्जाम्स में अच्छा परफॉर्म नहीं करने पर संस्थान से निकाल दिया।दो सेमेस्टर में 5 सीजीपीए से कम अंक लाने वाले ये 73 स्टूडेंट्स अब अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सकेंगे।एडमिशन के समय इन स्टूडेंट्स के पैरंट्स ने एक डेक्लरैशन साइन किया था जिसमें कहा गया था कि अच्छा परफॉर्म नहीं करने पर स्टूडेंट्स को संस्थान से निकाला जा सकता है।हालांकि किसी भी आईआईटी में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।पहले भी स्टूडेंट्स को इन संस्थानों से निकाला गया लेकिन उन्हें वापस एडमिशन दे दिया गया।आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी कानपुर के एक-एक मामले इसमें अपवाद हैं।गुरुवार को स्टूडेंट्स की मर्सी अपील पर विचार करने के लिए संस्थान की ओर से एक मीटिंग बुलाई गई।इस मीटिंग में 160 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए जिनमें प्रोफेसर्स, विभागों के अध्यक्ष और डायरेक्टर भी थे। इस मीटिंग में स्टूडेंट्स को संस्थान से निकालने का फैसला लिया गया।आईआईटी खड़गपुर के एक पूर्व डायरेक्टर ने बताया कि 2006 में अच्छा परफॉर्म नहीं करने पर फर्स्ट इयर के 15-20 स्टूडेंट्स को निकाला गया था लेकिन आखिरकार डायरेक्टर ने इस फैसले को वापस लेते हुए इन स्टूडेंट्स को दोबारा एडमिशन दे दिया था।संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि काउंसलिंग सेशन के दौरान कई स्टूडेंट्स ने माना कि ऐकेडमिक वर्कलोड के साथ चलना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।वहीं, कुछ स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह कॉलेज का अपना पहला साल एंजॉय कर रहे थे।अच्छा परफॉर्म न करने वाले इन स्टूडेंट्स को जून मध्य में निष्कासन का नोटिस दे दिया गया था। उसके बाद स्टूडेंट्स को मर्सी अपील फाइल करने का समय दिया गया था।अधिकतर स्टूडेंट्स इस फैसले पर बात करने को तैयार नहीं हैं।उनका कहना है कि वह इससे सदमे में हैं। कुछ ने कहा कि यह फैसला सही नहीं है और इन्हें इस बारे में कभी चेतावनी नहीं दी गई थी कि 5 सीजीपीए से कम मार्क्स आने पर संस्थान से निकाल दिया जाएगा। एक निष्कासित स्टूडेंट ने बताया कि मेरा स्कोर 4.5 सीजीपीए से थोड़ा ज्यादा है लेकिन फिर भी मुझे जाने के लिए कहा गया। यह सही नहीं है।अब मैं क्या करूंगा? मेरा पूरा ऐकेडमिक ईयर बर्बाद हो गया।स्टूडेंट बॉडी के प्रतिनिधियों ने कहा कि संस्थान ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया है और उसे इस पर दोबारा विचार करना चाहिए।

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