ISI में हिस्सा लेकर मजीद पहुंचा भारत,किए कई चैंकाने वाले खुलासे

May 21, 2015 | 01:11 PM | 115 Views
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आतंकी संगठन आईएस के लिए जिहाद में हिस्सा लेकर भारत लौटे मुंबई के अरीब मजीद ने खुलासा किया है कि यह आतंकी संगठन महिला और पुरुषों का इस्तेमाल ‘सेक्स स्लेव’ के तौर पर करता है।एनआईए ने बुधवार को मजीद के खिलाफ 8 हजार पेज की चार्जशीट दायर की है।इस चार्जशीट में मजीद के हवाले से कई चैंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।चार्जशीट के अनुसार मजीद ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसका इस्लामिक स्टेट से पूरी तरह मोहभंग हो गया था।मजीद के मुताबिक, आईएस की गतिविधियां पूरी तरह गैर इस्लामी हैं और इस आतंकी संगठन के लड़ाके महिलाओं और पुरुषों को यौन दास (सेक्स स्लेव) की तरह इस्तेमाल करते हैं।खासतौर पर महिलाओं को तो केवल सेक्स ऑब्जेक्ट ही माना जाता है।मजीद के मुताबिक, भारतीय जिहादियों को यहां सेकंड क्लास सिटीजन माना जाता है और उन्हें मेन स्ट्रीम की जगह सपोर्ट स्टाफ की तरह उपयोग किया जाता है।मजीद के तीन और दोस्त भी आईएस के लिए जिहाद करने इराक गए थे। इनके नाम फहाद शेख, अमन तंडेल और शाहीम टंकी हैं।मजीद ने मुताबिक, इंटरनेट पर जो आईएस के वीडियो जारी किए जाते हैं हकीकत में वैसा कुछ नहीं है क्योंकि इस संगठन में गैर इस्लामी काम किए जाते हैं।मजीद के मुताबिक वह इंटरनेट के जरिए आईएस के संपर्क में आया।इसमें एक अफगान इंजीनियर रहमान दुलाती की भूमिका भी थी जिसने मुंबई से इंजीनियरिंग की थी और अफगानिस्तान लौटने के बाद भी कभी-कभी भारत आता था।उसने मुंबई के एक धर्मगुरु आदिल डोलारिस का नाम भी लिया है जिसने उसे आईएस में शामिल होने के लिए उकसाया था।इसके अलावा मजीद ने अबु फातिमा नाम के एक इराकी नागरिक का नाम भी बताया है जिसने उसे आईएस के ट्रेनिंग कैंप तक पहुंचाया।मजीद के बताया, पिछले साल सितंबर में मुझे एक मिशन सौंपा गया।इसमें विस्फोटकों से भरे एक वाहन को दुश्मन की सीमा के करीब ले जाकर ब्लास्ट करना था।ऐन वक्त पर प्लान कैंसिल कर दिया गया और वो इसलिए क्योंकि मैं भारतीय था और वह हम पर यकीन नहीं करते थे।अरीब ने ये भी बताया कि आईएस के लिए काम करते समय वह दो बार घायल भी हुआ लेकिन उसने अपना इलाज खुद किया क्योंकि उसे कोई मेडिकल हेल्प नहीं दी गई।मजीद ने आगे कहा, वहां के हालात देखकर मुझे लगा कि अब यहां रहने का कोई मतलब नहीं है और मैंने अपने देश लौटने का फैसला कर लिया।वहां भारतीयों के अलग से नाम रखे जाते हैं और उन नामों के अंत में हिंदी रखा जाता है। जैसे मेरा नाम अबु अली अल हिंदी रखा गया था।मजीद के कहा, पिछले सितंबर में मैंने अपने घर फोन किया और बताया कि मैं जिंदा हूं।मेरी मां खूब रोईं और उन्होंने कहा कि तुम वापस लौट आओ।मेरा पहले ही इस जिहाद से मोहभंग हो चुका था इसलिए मैंने फैसला किया कि मुझे अब भारत लौटना चाहिए।अरीब के अनुसार, हम चारों के इराक पहुंचने पर कुल 2.39 लाख रुपए का खर्च आया और इसमें से 1.5 लाख रुपए हमें अफगान इंजीनियर रहमान दुलाती ने दिए थे।

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