केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि सरकार के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ताजमहल कभी हिंदू मंदिर था।सोमवार को लोकसभा में एआईएडीएमके के सांसद बी. सेनगुट्टुवन द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए शर्मा ने यह बात कही।
सरकार का नजरिया उस पिटीशन के बाद आया है,जिसे आगरा के कुछ वकीलों ने दायर कर ये दावा किया था कि ताजमहल पहले शिव मंदिर था।वकीलों ने मांग की थी कि ताजमहल का मालिकाना हक हिंदुओं को ट्रांसफर किया जाए और मुस्लिमों को वहां नमाज अदा करने से रोका जाए।वकीलों ने आगरा की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका इसी साल मार्च में दायर की थी।
बता दें कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने हाल ही में ये दावा खारिज कर दिया था कि 17वीं सदी का मुगल स्मारक ताजमहल कभी एक शिव मंदिर था। ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है।इसे 1632 में मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।ये यूनेस्को की धरोहरों में भी शामिल है।शर्मा ने कहा कि सरकार को पिटीशन के बारे में पूरी जानकारी है, लेकिन टूरिज्म पर असर पड़ने और विवाद होने के चलते सरकार इस मामले पर गौर करने की जरूरत नहीं समझती।