42 साल तक कोमा में रहने के बाद पिछले सप्ताह मौत की शिकार हुई अरुणा शानबाग के गुनहगार सोहनलाल को उसके गांव से निकाला जा सकता है।सोहनलाल दिल्ली से 75 किलोमीटर दूर यूपी के हापुड़ जिले के परपा गांव में रहता है।पिछले दिनों मीडिया के जरिए गांव वालों को पता लगा कि अरुणा का गुनाहगार सोहनलाल वाल्मीकि पिछले 30 साल से उनके बीच ही रह रहा है।गांव के मुखिया जोगिंदर सिंह ने बताया कि अब पंचायत तय करेगी कि सोहनलाल को गांव में रखना है या नहीं?गांव के मुखिया ने कहा कि सोहनलाल का खुलासा होने के बाद पूरा गांव गुस्से में है।हम उसके अतीत के बारे में जानकर सन्न हैं।मैं खुद उसे कई साल से जानता हूं। हमारा गांव बड़ा शांत और अच्छी छवि वाला है।इस एक आदमी के चलते गांव का नाम खराब हो रहा है।गांव में बहुत से लोग दबाव डाल रहे हैं कि सोहनलाल को निकाल दिया जाए।उधर सोहनलाल के परिजन दावा कर रहे हैं कि मुंबई पुलिस ने उसे झूठे मामले में फंसाया था।सोहनलाल की बहू ने कहा कि मेरे ससुर को सजा मिली और 1980 में छोड़ दिया गया था।उनके ऊपर रेप का आरोप भी नहीं था।वह शांति से जिंदगी गुजर-बसर कर रहे थे।अब मीडिया इस मसले को सनसनीखेज बना रहा है और ससुर को दोबारा जेल पहुंचाना चाहता है। शनिवार को सोहनलाल कुछ मीडिया वालों के साथ गांव से गया था और उसके बाद से नहीं लौटा। अब कयास हैं कि वह खुद कहीं छिप गया है।मुंबई केईएम अस्पताल की डॉग रिसर्च लेबोरेटरी में सोहनलाल काम करता था। कुत्तों के लिए आने वाला मांस वह खुद खा जाया करता था।नर्स अरुणा उसे मना किया करती थीं।इसी से सोहनलाल की चिढ़ बढ़ने लगी। उसने अरुणा पर बुरी नजर रखनी शुरू कर दी।तब 23 साल की अरुणा 27 नवंबर, 1973 को डयूटी खत्म कर कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम में पहुंचीं। सोहन वहां पहले से घात लगाकर बैठा था। उसने अरुणा को दबोच लिया। कुत्ते के गले की चेन ही अरुणा के गले पर कस दी और यौन शोषण का प्रयास किया। चेन से अरुणा के दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसें फट गईं। उसकी आंखों की रोशनी चली गई, शरीर को लकवा मार गया, अरुणा 42 साल तक कोमा में रहीं।पिछले सप्ताह अरुणा की मौत हो गई।जांच में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे और सोहनलाल गिरफ्तार कर लिया गया।सोहनलाल पर कान की बाली लूटने और हत्या के प्रयास का केस चला। उसे सात साल की सजा दी गई।सूत्रों की मानें तो सोहनलाल अपना नाम बदल कर दिल्ली के एक अस्पताल में आज भी काम कर रहा है।