पाकिस्तान से 15 साल बाद वतन लौटी गीता के 'रिटर्न गिफ्ट' के तौर पर मोहम्मद रमजान पाकिस्तान को सौंपा जाएगा। रमजान पांच साल पहले भटककर भोपाल पहुंच गया था। गीता की घर वापसी के बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने रमजान को पाकिस्तान भेजने की पहल फिर शुरू कर दी है।
शहर के बाल गृह में रह रहा 14 साल का रमजान कराची में रह रही मां के पास जाने को बेताब है। एक समाचार पत्र में उसकी आपबीती प्रकाशित होने के बाद कुछ लोगों ने सोशल मीडिया की मदद से कराची में उसके परिवार को ढूंढ़ निकाला है। चाइल्ड लाइन भी उसे कराची पहुंचाने के लिए कोशिश में जुटी है। उधर पाकिस्तान में अंसार बर्नी ट्रस्ट ने भी वहां से पहल शुरू कर दी है।
कराची की मूसा कॉलोनी में रहने वाले रमजान की मां का नाम रजिया और पिता का नाम ताजउल मुल्क है। माता-पिता का तलाक होने के बाद पिता रमजान को अपने साथ लेकर बांग्लादेश आ गया था। वहां उसने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां ने रमजान को परेशान करना शुरू कर दिया, तो वह मां के पास कराची जाने के लिए घर से भाग निकला। लेकिन सरहद पर भटककर भारत की सीमा में आ गया। अगरतला, रांची, कोलकाता, दिल्ली होते हुए 2013 में वह भोपाल आ गया। रेलवे पुलिस ने उसे पक ड़कर चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया। फरवरी-15 में उसके कराची का होने के बारे में पता चला। वह चौथी कक्षा तक पढ़ा है।
फोन पर कराची में रह रही मां रजिया से बात होने के बाद से बालगृह में रह रहा रमजान बेचैन है। दरअसल 13 सितंबर को रमजान का समाचार प्रकाशित होने के बाद राजधानी में पढ़ रहे कराची के एक छात्र ने सोशल मीडिया की मदद से उसका घर खोज निकाला। चाइ्ल्ड लाइन की संचालक अर्चना सहाय ने पाकिस्तान के समाज कल्याण बोर्ड की मदद से रमजान की बात फोन पर उसकी मां से करवा दी। साथ ही रमजान की घर वापसी के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। अर्चना सहाय बताती हैं कि पाकिस्तान के अंसार बर्नी ट्रस्ट के संचालक अंसार भी लगातार संपर्क में बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि रमजान का जन्म कराची में ही हुआ है। उसका दादा-दादी और नाना-नानी के पास भी पासपोर्ट हैं। उसकी मां के दस्तावेज भी जुटाए जा रहे हैं। साथ रमजान के बारे में तमाम जानकारी हाल ही में हाईकमीशन के माध्यम से पाकिस्तान भेज दी गई है। बातचीन के दौरान रमजान एक ही रट लगाता है कि उसे जल्द से जल्द मां के पास जाना है।