एवरेस्ट पर भारतीय फतह के 50 साल पूरे हो चुके हैं।दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह का नाम सुनते ही हर किसी की आंखों में दुनिया की सबसे कठिन और बड़ी मंजिल सामने आ जाती है।इस पर फतह पाना कोई आसान बात नही हैं लेकिन भारत को आज से 50 साल पहले इस एवरेस्ट पर अपना झंडा फहराने में कामयाबी हासिल हुई।जिससे 20 मई 1965 का भारत का वह गौरवशाली दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया था। 20 मई 1965 एवरेस्ट पर पहली बार भारतीय दल के पैर एवरेस्ट पर पड़े थे। जानकारी के मुताबिक लेफ्टिनेंट कमांडर एमएस कोहली के नेतृत्व में 19 सदस्य इस फतह के लिए निकले थे।इस दौरान उन्हें बड़ी सफलता मिली और वह वहां पर 20 मई को सुबह साढ़े नौ बजे एवरेस्ट पर भारत का झंडा फहराने में कामयाब हो गए थे।पूरे दुनिया में भारत की इस ऐतिहासिक सफलता की खबर फैल गई।इसके बाद जब इस टीम ने वापसी करते हुए भारत की सरजमीं पर कदम रखा तो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की खुशी का ठिकाना नहीं था।इस दौरान उन्होंने सारे प्रोटोकाल तोड़ते हुए पालम हवाईअड्डे पर जाकर इस फतह से लौटे सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया था।इतना ही नहीं इस देश को इतनी बड़ी कामयाबी दिलाने के लिए उन्हें बधाई भी दी।इतना ही नहीं इस दौरान इस इस दल के सभी सदस्यों को अर्जुन पुरस्कार देने का ऐलान हुआ जिनमें 11 को पद्म श्री और पद्म भूषण देने का ऐलान हुआ था।इस सफलता के बाद भारत एवरेस्ट पर फतह पाने वाला दुनिया का चैथा देश बन गया था।इसके पहले ब्रिटेन ने 1953 में एवरेस्ट पर फतह पाई थी।वहीं स्विट्जरलैंड ने 1958 में और अमेरिका ने 1963 में भारत से पहले एवरेस्ट को फतह किया था।बताते चलें कि इस फतह से पहले भारत के दो प्रयास असफल रहे थे जिसमें 1960 में करीब 700 फीट के फासले से यह अभियान असफल रहा।इसके बाद 1962 में भी करीब 400 फीट के फासले अभियान फेल हो गया था।वहीं भारत की ओर से 23 मई 1984 को बछेंद्री पाल ने भी एवरेस्ट फतह किया था।