सरहद पर जान की बाजी लगाकर देश की सुरक्षा करने वालों में गाजीपुर की सरजमीं ने एक और नाम जोड़ दिया। शहर से रेवतीपुर जाने वाले मार्ग पर स्थित छोटे से गांव डेढ़गांवा में जन्मे 40 वर्षीय कर्नल मुनेंद्र नाथ राय मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के त्राल इलाके में आतंकियों से हुई एक मुठभेड़ में जख्मी हुए कर्नल वीरता पुरस्कार पाने के अगले ही दिन शहीद हुए। गणतंत्र दिवस पर सम्मान पाने वाले कर्नल ने अगले ही दिन शहादत का तमगा पहन लिया। इससे पहले कर्नल ने अपने व्हाट्स-एप पर स्टेटस डाला था कि जिंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओं अपना किरदार कि परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहे। कर्नल ने जाते-जाते ऐसा काम कर भी दिया उनके जाने के बाद भी उनके लिए तालियां बजती रहेंगी। उनके पिता नागेंद्र प्रसाद राय कुछ दिन पहले ही दार्जिलिंग स्थित विद्यालय में प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इस समय वह शहर के चंदन नगर कॉलोनी में पत्नी के साथ रहते हैं। वहां पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। पड़ोस के एक व्यक्ति ने बताया कि बेटे के शहीद होने की जानकारी उन्हें नहीं दी गई है। मुनेंद्र तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। सभी देश सेवा में तैनात हैं। बड़े भाई सत्येंद्र नाथ राय सेना में ही कोलकाता में कर्नल हैं और दूसरे भाई असम में डीआइजी। शहीद मुनेंद्र की पत्नी अलका राय, एक पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। उनका परिवार हरियाणा में रहता है। सेना को ऐसी खबर मिली थी कि एक स्थानीय हिज्बुल आतंकवादी अपने अन्य साथियों के साथ आया है। पुलिस ने राष्ट्रीय राइफल्स की मदद से तलाशी अभियान शुरु किया जिसके बाद आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड छिड़ गयी। पुलिस के अनुसार मुठभेड में मारे गए आतंकवादियों की पहचान मिंडोरा निवासी आदिल खान और शिराज डार के रुप में हुई है। मुठभेड स्थल से हथियार और गोला-बारुद बरामद किए गए।