बेटी को जन्म देना पाप है.. पर जो बेटे को जन्म देने की बात करते वह भी तो एक माँ (औरत) के खोक से ही पैदा हुआ है। इस बात का आलोचना करने में अभी कितने वर्ष लगेगा। धरती को माँ कहते है। औरत बिना अदमी नहीं और अदमी बिना औरत नहीं। यह प्रकृति का नियम है। फिर भी कुछ घटनाएं सामने आई हैं जब बेटी का जन्म होने के बाद तलाक दे दिया गया ।
मुजफ्फरनगर के दारूल उलूम देवबंद ने एक फतवा जारी करके कहा है कि अपनी बीवी को केवल इसलिए तलाक देना चाहते कि उनके पत्नी एक लड़की को जन्म दिया। यह इस्लाम में हराम है कहते हुए एक शख्स ने सऊदी अरब के रियाद से फोन पर अपनी बीवी को तलाक देने का प्रस्ताव रखा। इस बात को लेकर सामाजिक पंचायत में जाने पर वहाँ तलाक को सही करार दिया गया।
देवबंद के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि अपने जीवनसाथी को हजारों मील दूर बैठकर फोन पर तलाक देना अपमानजनक हैं। इससे समुदाय का महिलाओं के प्रति अहंकार झलकता है जो कि अमानवीय है और पति-पत्नी के रिश्ते की इस्लामी भावना के खिलाफ है। यह दुर्भाग्य की बात है कि स्थानीय पंचायत ने इस मामले में महिला के अधिकारों पर ध्यान नहीं दिया। जहां तक इस्लाम की बात है तो यह तलाक हराम है।
देवबंद के प्रवक्ता ने कहा कि लड़के या लड़की को जन्म देना महिला के वश में नहीं होता है। इस्लाम में लड़का और लड़की समान हैं। इसलिए बच्ची को जन्म देने पर तलाक देना अस्वीकार्य है और इस्लाम के नजरिए से हराम है।