मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। कुछ ऐसा हीं हुआ है मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में जहां एक मुस्लिम दोस्त ने हिंदू दोस्त को मुखाग्नि देकर दोस्ती निभाई। इस दोस्त ने साबित कर दिया की दोस्ती धर्म से उपर है। बताया जा रहा है कि हरदा का रहने वाला संतोष सोनघाटी इलाके में अपनी पत्नी और 7 साल की बच्ची के साथ रहता था। कुछ दिनों से संतोष पीलिया और टीवी जैसी बीमारी से परेशान था।
संतोष के साथ मजदूरी करने वाले रज्जाक ने पहले तो उसे एक सप्ताह तक अस्पताल में इलाज करवाया लेकिन वो ठीक नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई। दुख के इस समय में संतोष की पत्नी और बच्चे अकेले थे। आस-पास कोई रिश्तेदार भी नहीं था जो इनकी मदद कर सके।
परेशानी तब आई जब संतोष के दाह-संस्कार की बात आई। जब रज्जाक ने आगे बढ़कर संतोष को मुखाग्नि दी। इस बात की ख़बर जिसे भी मिल रही है वो रज्जाक की तारीफ कर रहा है। रज्जाक ने जो किया वो वैसे लोगों के लिए प्रेरणा है जो जाति और धर्म के नाम पर एक-दूसरे को मारने के लिए भी तैयार हो जाते हैं।