मध्यप्रदेश के भोपाल में पिछले दो दिन पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन संपन्न हुआ और इस अवसर पर राष्ट्र भाषा हिन्दी को अपने देश में क्या लाभ मिलने वाला है यह जानना जरूरी है। हिंदी को राष्ट्र भाषा ही नहीं संयुक्त राष्ट्र की अधिकारिक भाषाओं में शामिल करने के लिए प्रस्ताव तैयार हुए, लेकिन हिन्दी को अपने देश में ही कई कठिनाईयों को सामना करना पड़ रहा है। हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए 10 से 12 सितंबर 2015 तक भोपाल में हो रही विश्व हिन्दी सम्मेलन में विभिन्न सत्र आयोजित किये गये और इस आयोजन में 39 देशों से कई प्रतिनिधियों ने भाग लेकर हिन्दी को विश्व भाषा बनानें के लिए अपने सुझाव किये। हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझावों के साथ कुल 12 सत्र आयोजित किये गये, जिसमें विदेश नीति में हिन्दी, प्रशासन में, विधि एवं न्याय क्षेत्र में और भारतीय भाषाएं, बाल साहित्य में हिन्दी, अन्य भाषा भाषी राज्यों में, हिन्दी पत्रकारिता और संचार माध्यमों में भाषा की शुद्धता, गिरमिटिया देशों में, विदेशों में हिन्दी शिक्षण समस्याएं और समाधान, विदेशियों के लिए भारत में हिन्दी अध्ययन की सुविधा, देश और विदेश में प्रकाशन समस्याएं और समाधान विषय प्रमुख रहे। विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हिन्दी को विश्व भाषा बनानें के लिये पूरी तरह से तैयारिया प्रारंभ किया गया।