मणिपुर में 18 सैनिकों के हत्या का बदला भारतीय सेना ने मंगलवार सुबह उग्रवादियों से ले लिया।सैनिकों के हत्या करने वाले 15 उग्रवादियों को सेना के विशेष बल ने म्यांमार की सीमा में घुसकर मौत की नींद सुला दिया।सूत्रों के मुताबिक उग्रवादियों की संख्या 20 से 30 भी हो सकती है। यह पहला मौका था जब भारत ने क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन के जरिए ऐसी कार्रवाई की हो।सेना के कमांडो ने यह कार्रवाई एक विशेष सूचना के आधार पर म्यांमार अफसरों से तालमेल बैठाकर की।वहीं, केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मंजूरी दी थी, जिसमें उग्रवादियों के दो शिविरों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया।राठौड़ ने कहा कि यह इन उग्रवादियों की आदत बन गई थी कि वे सेना या अर्धसैनिक बलों अथवा देश के नागरिकों पर हमले करते थे और उसके बाद में भागकर सीमापार स्थित अपने सुरक्षित पनाहगाह में शरण ले लेते थे क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा था कि भारतीय सशस्त्र बल उनका पीछा नहीं करेंगे।मंत्री ने कहा कि यह उन सभी के लिए अब बिल्कुल स्पष्ट संदेश है, जो हमारे देश में आतंकवादी इरादे रखते हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया और म्यांमार में कार्रवाई के लिए मंजूरी दी।अतिरिक्त सैन्य अभियान महानिदेशक मेजर जनरल रणवीर सिंह ने बताया कि सेना को पक्की सूचना मिली थी कि ये उग्रवादी भारतीय क्षेत्र में फिर से हमले की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा, हमने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है।म्यांमार सीमा में धावा बोलकर 15 उग्रवादियों को मार गिराने की कार्रवाई में सेना के साथ वायुसेना ने मिलकर सफल अभियान चलाया।ऑपरेशन में ऐसे अभियानों के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित पैरा कमांडो फोर्स के साथ हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया।सेना और वायुसेना के इस संयुक्त अभियान में एमआई-17 हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया। असम रायफल्स और 21 पैरा स्पेशल फोर्स ने म्यांमार की सीमा में दो किमी अंदर घुसकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया।हेलीकॉप्टरों ने पहले उग्रवादियों की गतिविधियों की टोह ली और उसके बाद धावा बोला गया।सूत्रों ने यह भी कहा कि नगालैंड के तुएनसांग जिले और मणिपुर के उखरुल जिले से लगी म्यांमार सीमा अभियान को अंजाम दिया गया।