पूर्व सुप्रीमकोर्ट जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने ताजा ब्लॉग और फेसबुक अकउंट से उन्होंने एक लंबी पोस्ट लिखकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासकों की बांटो और राज करो की नीति को लागू करने वाला एजेंट कहा है।काटजू ने कहा है कि गांधी ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया। बापू ने राजनीति में धर्म को घुसाकर फूट डालो और राज करो की ब्रिटिश नीति को आगे बढ़ाया।गांधी हर भाषण में रामराज्य, ब्रह्मचर्य, गो रक्षा, वर्णाश्रम व्यवस्था जैसे हिन्दूवादी विचारों का जिक्र करते रहे, इससे मुसलमान, मुस्लिम लीग जैसे संगठनों की ओर आकर्षित हुए। गांधी के सत्याग्रह आंदोलन पर भी काटजू ने कटाक्ष किया और लिखा, क्रांतिकारी आंदोलन को सत्याग्रह की तरफ मोड़कर बापू ने ब्रिटिश हितों को ही लाभ पहुंचाया। काटजू ने गांधी के आर्थिक विचारों को प्रतिक्रियावादी बताया है।गांधी ग्रामीण संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाने की वकालत करते थे। सभी जानते हैं कि ये संस्थाएं जातिवादी थीं और साहूकारों-जमीदारों के कब्जे में थीं। गांधी औद्योगीकरण के विरोधी थे और चरखा कातने जैसी प्रतिक्रियावादी बकवासों का प्रवचन देते थे।महात्मा गांधी के भाषणों और उनके अखबारों- यंग इंडिया और हरिजन में छपे उनके लेखों को देखकर यही लगता है कि उनका हिंदुओं के प्रति खास झुकाव था। गांधी ने 10 जून 1921 को यंग इंडिया में लिखा था, मैं सनातनी हिंदू हूं। मैं वर्णाश्रम व्यवस्था में विश्वास करता हूं। मैं गाय को बचाना जरूरी समझता हूं।गांधी की सभाओं में अक्सर हिंदू भजन- रघुपति राघव राजा राम के बोल सुनाई देते थे। काटजू ने सवाल उठाया है कि दशकों तक उनके ऐसे लेखों को पढ़कर मुस्लिमों पर क्या फर्क पड़ा होगा?