इतिहास के पन्नों में रेल बजट का लंबा इतिहास है। अंग्रेजों के राज्य करते समय से इस रेल बजट को पेश करने की परम्परा शुरू हो गई थी, इसका सन 1924 से उद्घाटन हुआ था, उससे पहले तक रेल विभाग के लिए कोई अलग से बजट का प्रावधान नहीं था।1924 में रेल का बजट भारत के आम बजट का लगभग 70 प्रतिशत था, जो अब लगभग 14-15 प्रतिशत तक रह गया है।रेल में प्रतिदिन लाखों यात्री सफर करते हैं, इन सबकी निगाहें रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर टिकी हुई हैं, जो 26 फऱवरी को पहला रेल बजट पेश कर रहे है।आम लोगों की रेल मंत्री से बहुत सामान्य की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं हैं, यदि इन्हें सुरेश प्रभु पूरा करने में सफल होते हैं तो वाकई यह रेल बजट लीक से हटकर होगा।रेलवे मंत्रालय ने संकेत दे दिया है कि इस वर्ष रेल किराए में कटौती संभव नहीं है। मोदी सरकार के पहले अंतरिम रेल बजट में यात्री किराया भाड़े में 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इस बजट में कुछ प्रीमियम ट्रेनों को हरी झंडी दी गई, जिनका किराया मांग के आधार पर तय होता है और कभी कभी यह हवाई सफर के बराबर या उससे भी ज्यादा होता है।अपने सोंच तो ऐसा है कि रेल किराया कम हो, लेकिन ऐसा होना असंभव लग रहा है।