अच्छे दिन का सब्ज बाग दिखाकर सरकार ने छोटी बचत पर बड़ी चपत लगाई है। सरकार की नजर उस 40 फीसदी हिस्से पर है जो कुल बचत में छोटी बचत से आता है। इन्हीं पैसों के दम पर टैक्सपेयर्स सुनहरे भविष्य का सपना संजोते हैं लेकिन सरकार ने भविष्य की तिजोरी पर हथौड़ा मार दिया, दरों को मार्केट रेट से जोड़ने के नाम पर छोटी बचत पर कैंची ही नहीं तलवार चला दी गई है।
नए नियम के हिसाब से पीपीएफ पर ब्याज दर 8.7 फीसदी से घटकर 8.1 फीसदी कर दी गई है। एनएससी स्कीम की दर 8.5 फीसदी से घटकर 8.1 फीसदी हो गई है। सुकन्या समृद्धि पर भी ब्याज को 9.2 फीसदी से घटकर 8.6 फीसदी कर दिया गया है। किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 8.7 फीसदी से कम होकर 7.8 फीसदी हो गई है। सरकार ने सीनियर सिटीजन को भी नहीं छोड़ा। उनको मिलने वाली ब्याज 9.3 फीसदी से घटकर 8.6 फीसदी कर दी गई है।
छोटी बचत योजना की ब्याज दर में कटौती पर आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास का कहना है कि ये कोई नहीं बात नहीं है हर साल योजनाओं की दरों में बदलाव होता है।
छोटी बचत पर सरकारी कैंची चलाते हुए सरकार ने 1 फीसदी तक ब्याज दरें कम कर दी हैं। भविष्य की तिजोरी पर हथौड़ा चलने से टैक्सपेयर्स का सिरदर्द बढ़ेगा। ब्याज दर में कटौती से जनता नाराज हो गई है और एनएससी स्कीम में सेविंग करने वालों को भी बड़ा नुकसान हो रहा है।