श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का हड़ताल आज जारी है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल से देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित देखी जा रही है। दिल्ली में लगभग 90 हजार ऑटो सड़क से नदारद है। वहीं झारखंड,तेलंगाना सहित यूपी में भी हड़ताल का असर देखा जा रहा है। लोगों को आने-जाने में परेषानियों का सामना करना पड़ रहा है।सरकार ने यूनियनों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की है।पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय मजदूर संगठन की देशव्यापी हड़ताल के दौरान अपने कर्मचारियों की उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया है।
देशभर में मजदूरों की हड़ताल को देखते हुए राज्य के वित्त विभाग ने एक परिपत्र जारी किया है, जिसमें राज्य सरकार के कर्मचारियों को कार्यालय आने का आदेश दिया गया है। परिपत्र के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी हड़ताल के दौरान अनुपस्थित रहता है तो उसका वेतन काट लिया जाएगा।इनकी मांग है कि श्रम कानून में प्रस्तावित श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लिया जाए साथ हीं सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण रोका जाए। इसके अलावा यूनियनों की मांग है कि न्यूनतम वेतन 15 हजार रुपये किया जाए। आल इंडिया ट्रेड यूनियन के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि मांगों के समर्थन में श्रम मंत्री को पत्र भी लिखा गया है। हम सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए दस ट्रेड यूनियन और 40 स्टेट यूनियन हड़ताल पर रहेंगी।