वर्ष 2015-16 के केंद्रीय बजट में सरकार की मेक इन इंडिया पहल पर खास ध्यान दिया जाएगा। इसको रफ्तार देने के लिए कई सेक्टरों को टैक्स के अलावा कुछ और सहूलियतें दी जा सकती हैं। मेक इन इंडिया नरेंद्र मोदी सरकार की पहल है जिसका मकसद उत्पादन गतिविधियों में जान डालना और लाखों नौकरी के अवसर पैदा करना है। चीन की अर्थव्यवस्था में नरमी आने के कारण भारत को लगता है कि उद्योग जगत में इसे बड़ा अवसर मिल सकता है। कई विभागों के सचिवों ने पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी को 25 चिह्नित क्षेत्रों के लिए ब्लूप्रिंट पेश किया। कई पृष्ठों वाले प्रस्तावों को मंत्रियों के बीच बांटा गया है और उम्मीद है कि बजट में कई वित्तीय प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय अपना फाइनल स्टैंड स्पष्ट करेगा। टैक्स से संबंधित प्रस्तावों उस रोडमैप का ही हिस्सा है जिसे मंत्रियों ने एक साल के लिए चिह्नित किया है। इन प्रस्तावों में से कुछ ऐसे हैं जिनसे घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और बाहर से आयात करने पर निर्भरता घटेगी। इसके अलावा उनसे आम आदमी को खरीदारी में एक्साइज डयूटी आधा करके 6 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। इसी प्रकार कॉमर्स विभाग ने सोना एवं चांदी पर कस्टम डयूटी में कटौती करके इसे 10 % से 2 % करने की सिफारिश की है। यह ऐसा प्रस्ताव है जिस पर कोई फैसला लेने से पहले समग्र आयात बिल और एक्सचेंज रेट पर इसके प्रभाव पर गंभीरता से गौर करना होगा।