हम क्या कर रहे है, क्या करने जा रहे है, ऐसे सवाल कुछ भी नहीं सोंचे बगैर ही विद्युत मंडल ने 87 हजार 370 रुपए की बिजली चोरी का केस बनाकर कोर्ट में पेश कर दिया। इस पर गुरुवार को कोर्ट ने मंडल को फटकार लगाते हुए केस खारिज कर दिया, क्योंकि वह महिला की मृत्यु 2001 में हो चुकी थी। जिला कोर्ट के न्यायाधीश आरके गुप्ता के सामने मध्यप्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र की विद्युत मंडल कार्यपालन मंत्री गजेंद्र कुमार ने 10 जनवरी 2014 को परिवाद पेश किया था। इसमें कहा गया था कि 26 सितंबर 2013 को नॉर्थ हरसिद्धि स्थित कुंती बाई पति स्व. संपतलाल के घर पहुंचे तो वह बिजली चोरी करती पकड़ा गई। उसकी उपस्थिति में तीन मंजिला भवन में लगे बिजली मीटर की जांच की तो पाया गया कि मीटर का इनकमिंग न्यूट्रेट टूटा हुआ है। अर्थिंग सिग्नल आ रहा था, लेकिन वह परिसर से जुड़ा था। इस तरह वह मीटर रीडिंग रोकते हुए 87 हजार 370 रुपए की बिजली चोरी कर चुकी थी। लाइनमैन रामगोपाल व रणजीतसिंह की मौजूदगी में दोपहर करीब 12.30 बजे जेई नुकुल शर्मा ने चोरी का पंचनामा बनाया था। पंचनामे पर कुंती ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने पुलिस के जरिये आरोपी कुंती को बयान के लिए बुलाया तो उसकी मौत का खुलासा हुआ। एडवोकेट संजय मेहरा के मुताबिक पुलिस जब कुंती का समन लेकर उसके घर पहुंची तो परिजन ने 2 मार्च 2015 को मृत्यु प्रमाण-पत्र पेश कर दिया। कोर्ट ने रावजी बाजार पुलिस से जांच करवाई, जिसकी रिपोर्ट 3 मार्च 2015 को पेश की गई। इसमें खुलासा हुआ कि कुंती की मौत 30 जून 2001 को हो गई थी। मृत्यु की पुष्टि गवाह नीलू जायसवाल और नीलिमा जायसवाल ने की। मंडल के निरीक्षक और लाइनमैन का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद मांग की जा रही है कि महिला को जीवित बताकर फर्जी पंचनामा बनाने वालों पर जांच बैठाकर दंडित किया जाना चाहिए, ताकि कोई फर्जी काम न कर सके।