डॉ.सुधीर ने कहा,सुनंदा की मौत को प्राकृतिक बताने का था दबाव!

June 02, 2015 | 04:35 PM | 2 Views
dr_sudhir_repeated_sunandas_death_was_pressure_to_tell_natural_death_niharonline

एम्स के फॉरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता पद से हटाए जा सकते हैं।आपको बता दें कि गुप्ता ने आरोप लगाया था कि उनपर सुनंदा पुष्कर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हेर फेर का दबाव बनाया गया था।सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में उनकी अर्जी खारिज होने के बाद डॉ. गुप्ता ने मंगलवार को हाईकोर्ट का रुख किया।वहीं दूसरी ओर एम्स की ओर से कहा है कि कैट ने डॉ. गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी है।ऐसे में डॉ. गुप्ता को फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष के पद पर नहीं रहना चाहिए।चीफ विजिलेंस कमिश्नर और कैट को लिखी चिट्ठी में डॉ. गुप्ता ने आरोप लगाया था कि उनपर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बदलाव करने का दबाव डाला गया था।इससे पहले जून 2014 में भी डॉ. सुधीर गुप्ता ऐसा ही आरोप लगा चुके हैं।उस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर उठे विवाद से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया था। इतना ही नहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट को थरूर के पक्ष में बदलने के फोरेंसिक साइंस विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता के आरोपों को उसने पूरी तरह गलत बताया था।उस समय अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया था कि अस्पताल के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि कभी भी उन पर इस मामले में कोई दबाव डाला गया हो।अब डॉ. सुधीर गुप्ता ने अपनी बात दोहराकर एक बार फिर मामले को काफी पेचीदा कर दिया है।यह महज इत्तेफाक है कि ठीक एक साल बाद डॉ, गुप्ता ने ये सनसनीखेज आरोप लगाया है।आपको बता दें कि 15 जनवरी 2014 को सुनंदा पुष्कर ने दिल्ली के होटल लीला पैलेस में चेक-इन किया। उस समय वह काफी तनाव में थीं। 17 जनवरी को कांग्रेसी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के आने पर सुईट नंबर 354 में शिफ्ट हुई।इसी दिन सुनंदा की मौत हो गई।एसडीएम जांच बैठाई गई और मामले की जांच शुरू की गई।18 जनवरी को शव के पोस्टमार्टम के लिए एम्स में मेडिकल बोर्ड गठित किया गया।प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया कि पुष्कर की आकस्मिक और अप्राकृतिक मौत हुई है। पुलिस ने जांच शुरू की। थरूर, सुनंदा के बेटे व अन्य लोगों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए।19 जनवरी को केरल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के निदेशक डॉ. जी विजयराघवन ने मीडिया में बयान दिया था कि सुनंदा को ऐसी गंभीर बीमारी नहीं थी जिससे उनकी जान चली जाती।इस इंस्टीट्यूट में सुनंदा ने 12 से 14 जनवरी तक अपना इलाज कराया था।

ताजा समाचार

सबसे अधिक लोकप्रिय