भारत-बांग्लादेश के बीच हुए लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत आज से शुरू 162 एनक्लेव्स के अदला-बदली की प्रक्रिया शुरू होगी।एनक्लेव ऐसे छोटे-छोटे रिहाइशी इलाके हैं जो दूसरे देश की जमीन से घिरे हुए हैं।भारत के एनक्लेव बांग्लादेश में और बांग्लादेश के भारत में हैं।सीमा से लगे इलाकों में रहने वाले करीब 50,000 निवासी नई मिली आजादी का जश्न मनाएंगे।दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस समझौते को अंतिम रूप दिया।बांग्लादेश के कुरिग्राम में भारतीय एनक्लेव में रहने वाले गुलाम मुस्तफा ने कहा कि 1947 के बाद से 68 सालों में 68 निशान हैं और हमने व्यथा और गरीबी झेली है। मुस्तफा और कई दूसरे भी नागरिक हैं जो ऐसे 162 एनक्लेव में रहते हैं, लेकिन वे स्कूल, क्लीनिक, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं से वंचित हैं।बांग्लादेश और भारत 1974 के एलबीए करार को लागू करेंगे और सितंबर, 2011 के प्रोटोकॉल को अगले 11 महीने में चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगे।समझौते के मुताबिक भारत अपने इलाके में बने 111 एनक्लेव बांग्लादेश को देगा,बदले में भारत को बांग्लादेश सिर्फ 51 इनक्लेव यानि आधे से भी कम देगा।बंटवारे में जमीन के क्षेत्रफल की बात करें तो भारत को बांग्लादेश से करीब 7 हजार 100 एकड़ जमीन मिलेगी और बांग्लादेश को भारत से 17 हजार 200 एकड़ जमीन मिलेगी।भारत और बांग्लादेश की सीमा इतनी टेढ़ी मेढ़ी है कि इस की निगरानी करना मुश्किल है।इस समझौते से बांग्लादेश की सीमा से होने वाली घुसपैठ को हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।