केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में जल्लीकट्टु परंपरा को अनुमति दे दी है।इसको लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। तमिलनाडु सरकार व कई किसान संगठनों ने भी केंद्र से इस आशय की मांग की थी।आपको बता दें कि सांडों के इस खेल पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 2011 में एक अधिसूचना जारी कर रोक लगा दी थी।उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में भी उस अधिसूचना को कायम रखा था।
समझा जाता है कि पोंगल पर होने वाले इस आयोजन को लेकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के विशेष आग्रह पर नरेंद्र मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है।पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी 2011 की अधिसूचना में कहा था कि सांड़ उस श्रेणी के पशु हैं, जिन्हें ऐसे आयोजनों के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है, इसलिए उनका उपयोग ऐसे कार्यों में नहीं किया जा सकता है।
वहीं, वन व पर्यावरण मंत्रालय ने अपनी आज की अधिसूचना में ऐसे आयोजनों को अनुमति दी है।केंद्र ने अपनी अधिसूचना में कहा कि ऐसे आयोजन 15 मीटर के दायरे में ही होंगे।इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल व गुजरात में परंपरागत बैलगाड़ी दौड़ भी हो सकती है।इसके लिए शर्त यह रखी गयी है कि ऐसे आयोजन विशेष ट्रैक पर हों, जो 200 मीटर से ज्यादा लंबी नहीं हो।