प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने नौकरशाहों, नेताओं और सरकारी खजाने से वेतन या मानदेय पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए अब मुश्किलें खड़ी हो सकती है। जी हां ,इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नौकरशाहों, नेताओं और सरकारी खजाने से वेतन या मानदेय पाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए। अगर ये लोग ऐसा नहीं करते हैं तो इनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान किया जाए।राजनेताओं, नौकरशाहों के बच्चे शायद हीं सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। कोर्ट का ये फैसला हालांकि उनके बच्चों के लिए हितकर होगा जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते है। राजनेताओं और नौकरशाहों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे तो शायद सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार हो जाए। कोर्ट ने कहा है कि जिनके बच्चे कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ें, वहां की फीस के बराबर रकम उनके वेतन से काट ली जाए। साथ ही ऐसे लोगों का कुछ समय के लिए इन्क्रीमेंट व प्रमोशन रोकने की व्यवस्था की जाए। अगले शिक्षा सत्र से इसे लागू भी किया जाए।कोर्ट ने साफ किया कि जब तक इन लोगों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे, वहां के हालात नहीं सुधरेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को छह माह के भीतर यह व्यवस्था करने का आदेश देते हुए कृत कार्यवाही की रिपोर्ट पेश करने को कहा है। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने जूनियर हाईस्कूलों में गणित व विज्ञान के सहायक अध्यापकों की चयन प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकारी स्कूलों की दुर्दशा सामने आने पर दिया है।