त्रिपुरा से आखिरकार 18 साल बाद आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट यानि अफस्पा हट गया। मुख्यमंत्री मणिक सरकार ने बुधवार को इसे तत्काल प्रभाव से हटाने का एलान किया। कैबिनेट बैठक में यह फैसला हुआ। राज्य में यह विवादित कानून 16 फरवरी 1997 से लागू था। सरकार ने कहा, राज्य में घुसपैठ लगभग खत्म हो गई है। इसे हटाने की मांग भी लंबे समय से चल रही थी। इसे 18 साल से हर छह महीने बाद बढ़ाया जा रहा था। हाल में जब इसे दोबारा बढ़ाने का प्रस्ताव आया तो हमने सभी पक्षों से रिपोर्ट मांगी। सुरक्षा एजेंसियां भी इसे हटाने पर सहमत हो गईं। फिलहाल मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में अफस्पा लागू है।सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर में सेना को कार्रवाई में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया। बाद में जब 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाया तब 1990 में इसे वहां भी लागू किया गया। अफस्पा कानून कहीं भी तब लगाया जाता है जब वो क्षेत्र वहां की सरकार अशांत घोषित कर देती है। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं जिन्हें किसी भी कार्रवाई के लिए सरकार की अनुमति नहीं लेनी होती है।मणिपुर से इस कानून को हटाने के लिए समाजसेवी इरोम शर्मिला पिछले 15 साल से अनशन पर हैं। उन्हें जिंदा रखने के लिए जबरन नाक से पेय पदार्थ दिए जाते हैं। लेकिन राज्य की सरकार ने इसे हटान से मना कर दिया है। वहीं जम्मू-कश्मीर में कई पॉलिटिकल पार्टियां लगातार विरोध करती रही हैं। कभी भी उनकी अपील केंद्र को नहीं भेजी गई क्योंकि इसका निर्णय सेना का कमांडेंट ही लेता है।हालांकि अब जब अफस्पा हट गया है तो लोगों में काफी खुशी है।