सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दुष्कर्म के मामले में विवाह पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने निचली अदालत के एक फैसले को चुनौती देने वाली मध्य प्रदेश सरकार की याचिका स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की जिसमें दुष्कर्मी को विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लेने पर मामले से बरी कर दिया गया था।सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि दुष्कर्म के आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह के नाम पर समझौता वास्तव में महिलाओं के सम्मान से समझौता है।साथ ही यह इस तरह के समझौते कराने वाले पक्ष की असंवेदनशीलता का भी परिचायक है।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर वह उदार रवैया नहीं अपना सकता।न्यायालय ने यह भी कहा कि इस बारे में निचली अदालत का फैसला उसकी भारी भूल और असंवेदनशीलता को दर्शाता है जिसने विवाह का प्रस्ताव स्वीकार कर लिए जाने के बाद दुष्कर्मी को मामले से बरी कर दिया।ऐसे में समझौता अवैध है।