देश एक तरफ सबका विकास की बात कर रहा है तो उत्तर प्रदेश के झांसी में आज भी दलितों का बीपीएल कार्ड सिर्फ इसलिए फेंक दिया जाता है क्योंकि वो पिछड़ी जाति के हैं।
झांसी के मऊनीपुर गांव में रहने वाले लोग आज भी दलित होने का दंश झेल रहे हैं। यहां पिछले दस साल से इन लोगों को राशन कार्ड के तहत राशन नहीं दिया गया है। राशन की दुकान पर जब ये लोग राशन लेने जाते हैं तो इनका बीपीएल कार्ड देखकर उसे फेंक दिया जाता है। यही नहीं आज भी इन्हें सिर्फ दलित होने के चलते कोई काम नहीं देता है।
झांसी के इस गांव में कुल 4 हजार की आबादी है और यह झांसी से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। यहां के एक दलित का कहना है कि उनकी जाति के स्थान पर राशन कार्ड में चमार लिखा है जिसके चलते वह जब भी राशन की दुकान पर सामान लेने जाते हैं तो उन्हें सामान नहीं दिया जाता है। इन लोगों को प्रति राशन कार्ड के हिसाब से 15 किलो गेंहू और 10 किलो चावल देना होता है लेकिन दलित होने के कारण इन लोगों को राशन नही दिया जाता है।